बीजेपी 3.0 की सरकार में मंत्रियों का शपथ ग्रहण और विभागों का बंटवारा दोनों ही हो चुका है। इसी बीच मंगलवार को एस जयशंकर ने भी अपना विदेश मंत्री का पदभार संभाल लिया है। पद पुनः सँभालने के बाद जयशंकर ने विदेश नीति के मोर्चे पर सरकार की योजनाओं की विस्तृत चर्चा की।
http://नीट परीक्षा मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई NTA को फटकार, कहा गलती हुई है तो स्वीकार करें
विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि, “आज दुनिया में काफी उथल-पुथल मची हुई है, दुनिया खेमों में बंटी हुई है और तनाव और टकराव भी बढ़ रहा है. ऐसे समय में भारत की पहचान एक ऐसे देश के रूप में है जिस पर भरोसा किया जा सकता है, प्रतिष्ठा और प्रभाव है।
चीन और पाकिस्तान के साथ आने वाले पांच साल के संबंधों के सवाल पर एस जयशंकर कहते है कि किसी भी देश में, विशेषकर लोकतंत्र में, लगातार तीसरी बार सरकार का चुना जाना बड़ी बात है, इससे दुनिया को पता चल जाएगा कि भारत में कितनी राजनीतिक स्थिरता है।
जहां तक पाकिस्तान और चीन की बात है तो दोनों देशों के संबंध अलग-अलग हैं, इसलिए समस्याएं भी अलग-अलग होंगी। हम चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं और पाकिस्तान के साथ हम सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान ढूंढना चाहते हैं”।
विदेश मंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह मेरे लिए काफी सम्मान की बात है कि मुझे एक बार फिर से विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने का अवसर मिला है।अपने पिछले कार्यकाल के बारे में जयशंकर कहते हैं कि विदेश मंत्रालय ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था।
जिसमें हमने जी-20 की सफलतापूर्वक अध्यक्षता से लेकर, कोरोना जैसी मुश्किल की चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया। वैक्सीन मैत्री के तहत वैक्सीन की आपूर्ति की गई। इसके साथ ही गंगा और कावेरी जैसे कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन चलाए गए। इसके अलावा हाल ही में हमारी पासपोर्ट सेवाओं में भी सुधार हुआ है। साथ समुदाय और विदेशों में रहने वाले भारतीयों के कल्याण के लिए भी काम किया है।’
भारत द्वारा लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल होने की मांग को लेकर विदेश मंत्री से सवालकिये गए। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘भारत का प्रभाव विदेश में लगातार बढ़ रहा है, मुझे पूरा भरोसा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में विदेश नीति सफल होगी।