लेह/करगिल। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन मंगलवार को अचानक हिंसक हो गया। अब तक शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे इस विरोध-प्रदर्शन ने अचानक उग्र रूप ले लिया, जिसके दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों ने लेह में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यालय पर पथराव किया और वहां आगजनी की। कई पुलिस वाहनों को भी निशाना बनाया गया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस के गोले दागे, लाठीचार्ज किया और कथित तौर पर फायरिंग भी की। घटनास्थल पर मची अफरातफरी के बाद प्रशासन ने तुरंत लेह और करगिल में कर्फ्यू लागू कर दिया तथा धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी कर दी।
पुलिस ने बताया कि अब तक 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि हालात को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियाँ तैनात की गई हैं। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
इसी बीच, आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनकी संस्था ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख’ (SECMOL) का विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (FCRA) प्रमाणपत्र गृह मंत्रालय द्वारा रद्द कर दिया गया है। इसका सीधा असर संगठन की विदेशी फंडिंग पर पड़ेगा। सरकार का कहना है कि नियमों के उल्लंघन के चलते यह कदम उठाया गया है।
लद्दाख में आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें हैं – क्षेत्र को राज्य का दर्जा देना, छठी अनुसूची में शामिल कर स्थानीय लोगों की सांस्कृतिक व जनजातीय पहचान की सुरक्षा करना और रोजगार व पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर विशेष नीति बनाना। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा।
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने 6 अक्टूबर को आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव रखा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच जल्द ही संवाद स्थापित नहीं हुआ, तो हालात और गंभीर हो सकते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच हिमालय नीति अभियान समेत कई संगठनों ने आंदोलन को समर्थन दिया है, लेकिन साथ ही इसे पूरी तरह अहिंसक और शांतिपूर्ण रखने की अपील भी की है।
लद्दाख में लगातार बढ़ रहे तनाव ने वहां की जनता और प्रशासन, दोनों को बड़ी चुनौती के सामने खड़ा कर दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या सरकार और आंदोलनकारी बीच का रास्ता निकाल पाते हैं या टकराव और गहराता है।Ladakh Protest News Hindi