2024 के चुनाव में उत्तर प्रदेश से मिली हार के बाद भाजपा में बहस जारी है। पार्टी के जिन उम्मीदवारों जिन अधिकारीयों ने हार का सामना किया उन्होंने हार का जिम्मेदार विधायकों और कार्यकर्ताओं को ठहराया है। फिलहाल प्रदेश के भाजपा संगठन ने हार की समीक्षा शुरू कर दी है। इसी कड़ी में अवध क्षेत्र के हारे उम्मीदवारों के साथ आज पहली बैठक हुई है।
विरोधी लहर के चलते मिली हार
लोकसभा चुनाव में हारे हुए भाजपा प्रत्याशियों ने विरोधी लहर के चलते मिली हार का जिम्मेदार विधायकों और कार्यकर्ताओं को बताया है। इसी में पार्टी प्रदेश संगठन ने क्षेत्रवार को रोकने के लिए, भाजपा की हार के पीछे चुप्पी गुत्थी को सुलझाना शुरू कर दिया है।
बैठक की समीक्षा प्रक्रिया में, बृहस्पतिवार को अवध क्षेत्र के हारे हुए सब्भी प्रत्याशियों की मीटिंग करके, हार के कारणों का जायज़ा लिया गया। जिसमें हारे हुए अधिकतर प्रत्याशियों , संसदीय क्षेत्र के विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं पर भितरघात करने व विपक्ष द्वारा प्रचारित किए गए आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने के मुद्दे से नाराज दलित के साथ ही भाजपा को कोर वोटर रहे गैर यादव पिछड़ी जातियों ने भी भाजपा को वोट नहीं दिया। खास तौर पर कुर्मी, राजभर, शाक्य, पासी और मौर्या जैसी भाजपा समर्थक जातियों ने इस चुनाव में दूरी बना ली थी।
उम्मीदवारों ने की अपने ही लोगों के भितरघात करने की शिकायत
इस समीक्षा की प्रक्रिया में प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने अवध क्षेत्र की हारी हुई सीट की जांच की है। इस मीटिंग में बाराबंकी की प्रत्याशी राजरानी रावत को छोड़कर बाकी के प्रत्याशी जिनमें श्रावस्ती, सीतापुर, खीरी, लखीमपुर, रायबरेली, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, मोहनलालगंज से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी मुख्यालय में उपस्थित थे। हारे हुए उम्मीदवारों ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से अपने ही लोगों के भितरघात करने की शिकायत की थी। जिसपर उनसे लिखित शिकायत मांगी गई थी।